Baba Prachand Nath

Baba Prachand Nath
Amit Shukla GKP

रविवार, 6 सितंबर 2015

कश्मीर

कश्मीर
IC 814 याद होगा न आप को? अरे वही काठमांडू से कंदाहर हाइजैक किया हुआ विमान।
एक आदमी को आतंकवादियों ने छुरा मार दिया , और खबर फैला दी की बाकियों का भी यही हश्र होगा अगर उनकी बात न मानी जाये ।


पता है उसके बाद क्या हुआ था? सभी यात्रियों के परिवारवालों ने ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलजी के दरवाजे पर धरना शुरू किया । और वो भी बड़े ही नाटकीय ढंग से । यही कम्युनिस्ट बड़ी बिंदी ब्रिन्दा करत नेतृत्व कर रही थी।
और भी कई आए। लोगों का सुर एक ही था - हमारे घर वालों को किसी भी कीमत पर वापस लाओ । कश्मीर दे दो, जो मांगे दे दो ....
कारगिल तब ताजा ही था। उस युद्ध में हुतात्मा हुए अधिकारी तथा सैनिकों के घरवालों ने उन्हें संबोधित किया कि देशहित में संयम बनाए रखना उचित होगा । उनके साथ भीड़ ने अत्यंत बीभत्स सलूक किया, और "भाड़ में जाये देश, भाड़ में जाये देश का हित" के नारे लगाए । बाकी सभी पक्ष - काँग्रेस और वामी इत्यादि - सुइयां चुभोते रहे ।
कांचन गुप्ता ने यह पूरी दास्तान लिखी है, खुद पढ़ सकते हैं ।
https://islamicterrorism.wordpress.com/2009/01/24/the-truth-behind-kandahar-indian-airlines-hijacking-when-india-released-islamic-terrorists-must-read/
आज कश्मीर को ले कर जो मोदी जी की "प्रशंसा" चालू है उसे देख कर मुझे यही याद आया । भले कहाँ से कहाँ गयी दुनिया, वहीं का वहीं रहा इंडिया ! थोड़ा तो धीरज रखो ! पता है किन कमीनों से रिश्ता जोड़ा है। और अगर जान बूझ कर जोड़ा है तो सोच रखा भी होगा कब क्या करना है। एक बात खयाल रहे - कश्मीर में सत्ता पाने के लिए नहीं, लेकिन कश्मीर को देश से जोड़ने के लिए ये फैसला लिया गया है ।
फिलहाल सब्र रखिए, सब्र छोड़के आप नुकसान ही करोगे । देश के साथ खुद का भी । गलतियाँ न दोहरने का जिम्मा जनता का भी है, सिर्फ नेताओं का नहीं !



गोरखपुर उत्तर प्रदेश 

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