ये पोस्ट पढ़ना ही पड़ेगा क्योकि कल (24/8/2015) देश का 7 लाख करोड़( 7000000000000) रुपये डूब गया
विदेशी पूंजी निवेश के पीछे भाग रही केंद्र सरकार में आखिर क्यों मचा है हाहाकार
ग्लोबलाइजेशन लिबरलाजेशन रुपी आर्थिक सुधार ही लाया है भारत के लिए आर्थिक संकट
आज डॉलर के मुकाबले रूपये ने मनमोहन सिंह की मौन उधारीकरण की नीतियों के पीछे गाजे बाजे के साथ भागने वाले प्रधानमन्त्री मोदी जी की उम्र को भी पार कर गया रुपया । विदेशी पूंजी और उधारीकरण के धरातल पर खड़ा शेयर बाजार कर्ज आधारित अर्थव्यवस्था के भवर में फंस कर ऐसा गोता लगाया की भारतीयो का 7 लाख करोड़ रूपये डूब गया प्रति व्यक्ति 5 हजार ।
एक दो अपवाद को छोड़कर आजादी के 69 दशक बाद की सभी सरकारो (ऋणत कृत्वा घृतं पित्त्वा )कर्जा लेकर घी पिने वाली नीतियों पर दौड़ाकर भारत के रूपये का अवमूल्यन करवा दिया वो रुपया जो अंग्रेजो के 250 वर्षो की लूट के बाद भी विश्व की अर्थव्यवस्था में डॉलर के मुकाबले शीना तान कर खड़ा था उसे घुटने के बल आने को मजबूर कर दिया ।
भारतीय अर्थव्यवस्था के शिरमौर एवम् स्वर्णिम भारत के शिल्पकार आचार्य चाणक्य के अर्थशाश्त्र को त्याग कर भारतीय वित्तमंत्रियों ने आक्सफोर्ड केम्ब्रिज की ऐसी राह पकड़ी की 1947 में 1 डॉलर =1रूपया अर्श से आज फर्श तक पहुच गया ।
मनमोहन सिंह की उधारीकरण और गुलामीकरण की नीतियों की धज्जिया उड़ाने वाले आचार्य चाणक्य के दूत माँ भारती के सपूत श्री राजीव दीक्षित जी ने भारतीय जनमानस एवम् राजनैतिक दलो को बारम्बार आगाह किया था जिस शेयरबाजार और विदेशी पूंजी निवेश के बल पर मैकाले के मानसपुत्र दम्भ भरते है ये देश की अर्थव्यवस्था को आर्थिक गुलामी में डाल देंगे ।
उन्होंने आगाह किया था शेयरबाजार में विदेशीपूंजी निवेश आज भारत में है कल सिंगापूर भी जा सकता है और आज वही हुवा देश को 7 लाख करोड़ की चपत लग गई ।डॉलर के मुकाबले रुपया टूट गया ।
राजीव भाई ने कहा था बाहर के बोतल के खून से मरीज को कितने दिनों तक जिन्दा रखोगे भारत को पूंजी की जरूरत है देश में स्वदेशी नीतियों पर आधारित पूंजी निर्माण किया जा सकता है भारत न कल गरीब था और न आज भारत गरीब है भारतीय रूपये को डॉलर के मुकाबले वैश्विक षडयंत्रो के साथ मिलकर मीरजाफर एवम् जयचंदो ने गरीब बनाया है ।
आज गलत आर्थिक नोतियो का ही परिणाम है चीन के युवान के पेट में दर्द होता है और इलाज भारत के रूपये के अवमूल्यन से होता है ।
विश्व में तेल के दाम बढ़ते है तो भारतीय रूपये को नुकशान होता है महंगाई बढ़ती है विश्व में तेल के दाम घटते है तो भारतीय रूपये को नुकशान होता है आखिर ये अर्थशाश्त्र है या अनर्थशाश्त्र जब कालेधन पर कोई कार्यवाही होती शेयर बाजार गिरता है भरष्टाचार पर कार्यवाही होती है तो तो शेयर बाजार गिरता है भारतीय अर्थव्यवस्था विदेशी कम्पनियो के हाथो का खिलौना बन गई है ।
समय रहते भारतीय अर्थव्यवस्था का उपचार नहीं हुवा तो अंत में एक ही विकल्प होता है पोस्टमार्टम अतः किसी भी देश में पहले आर्थिक गुलामी आती है राजनैतिक गुलामी उसके पीछे से ही आती है ।
हम भारतीय सरल हृदय वाले तरल हृदय वाले अतिथि देवो भव वाले हम पर बहुराष्ट्रीय कम्पनिया विज्ञापनों रूपी जाल फेक रही है और हम बहुमूल्य भारतीय सम्पदा को उनको हवाले करते जा रहे है ।आज इन्ही बहुराष्ट्रीय कम्पनियो की मदद से विकाशशील देशो से पूंजी निकल कर विकसित देशो की ओर जा रही है ।
भारत को इस आर्थिक गुलामी की बेडियो को तोडना है तो कर्जआधारित अर्थव्यवस्था को आज नहीं तो कल छोड़ना ही होगा ।
एक तरफ हम गाना गाते है मेरे देश की धरती हीरा मोती उगले और दूसरी तरफ बहुराष्ट्रीय कम्पनिया विदेशी पूंजी निवेश का जाल फेककर उसको निगले ।
पुनः देश को एक स्वदेशीआंदोलन की जरूरत है जो भारत की अर्थव्यवस्था को स्वदेशी की ताकत से शक्तिशाली बना सके ।
भारतीय अर्थव्यवस्था के चारो ओर आर्थिक स्वालम्बन की ऐसी लक्ष्मणरेखा खींचनी होगी जिससे चाहे ड्रेगन रुपी रावण के युवान के पेट में दर्द हो या डॉलर पाउंड को स्वाइन फ़्लू हो जाए पर कोई भी युवान डॉलर पाउंड यूरो की बिमारी भारत की स्वदेशी रेखा न पार कर पाये सदैव हमारा रुपया स्वस्थ्य एवम् समृद्ध रहे ।
आज भारत को विदेशी पूंजी निवेश की चिंता की बजाय स्वदेशी के चिंतन का समय है ।
लाल देश के बहादुरी के द्वार खोल दो
जय जवान जय किसान जय स्वदेशी बोल दो ।
जय हिन्द
विदेशी पूंजी निवेश के पीछे भाग रही केंद्र सरकार में आखिर क्यों मचा है हाहाकार
ग्लोबलाइजेशन लिबरलाजेशन रुपी आर्थिक सुधार ही लाया है भारत के लिए आर्थिक संकट
आज डॉलर के मुकाबले रूपये ने मनमोहन सिंह की मौन उधारीकरण की नीतियों के पीछे गाजे बाजे के साथ भागने वाले प्रधानमन्त्री मोदी जी की उम्र को भी पार कर गया रुपया । विदेशी पूंजी और उधारीकरण के धरातल पर खड़ा शेयर बाजार कर्ज आधारित अर्थव्यवस्था के भवर में फंस कर ऐसा गोता लगाया की भारतीयो का 7 लाख करोड़ रूपये डूब गया प्रति व्यक्ति 5 हजार ।
एक दो अपवाद को छोड़कर आजादी के 69 दशक बाद की सभी सरकारो (ऋणत कृत्वा घृतं पित्त्वा )कर्जा लेकर घी पिने वाली नीतियों पर दौड़ाकर भारत के रूपये का अवमूल्यन करवा दिया वो रुपया जो अंग्रेजो के 250 वर्षो की लूट के बाद भी विश्व की अर्थव्यवस्था में डॉलर के मुकाबले शीना तान कर खड़ा था उसे घुटने के बल आने को मजबूर कर दिया ।
भारतीय अर्थव्यवस्था के शिरमौर एवम् स्वर्णिम भारत के शिल्पकार आचार्य चाणक्य के अर्थशाश्त्र को त्याग कर भारतीय वित्तमंत्रियों ने आक्सफोर्ड केम्ब्रिज की ऐसी राह पकड़ी की 1947 में 1 डॉलर =1रूपया अर्श से आज फर्श तक पहुच गया ।
मनमोहन सिंह की उधारीकरण और गुलामीकरण की नीतियों की धज्जिया उड़ाने वाले आचार्य चाणक्य के दूत माँ भारती के सपूत श्री राजीव दीक्षित जी ने भारतीय जनमानस एवम् राजनैतिक दलो को बारम्बार आगाह किया था जिस शेयरबाजार और विदेशी पूंजी निवेश के बल पर मैकाले के मानसपुत्र दम्भ भरते है ये देश की अर्थव्यवस्था को आर्थिक गुलामी में डाल देंगे ।
उन्होंने आगाह किया था शेयरबाजार में विदेशीपूंजी निवेश आज भारत में है कल सिंगापूर भी जा सकता है और आज वही हुवा देश को 7 लाख करोड़ की चपत लग गई ।डॉलर के मुकाबले रुपया टूट गया ।
राजीव भाई ने कहा था बाहर के बोतल के खून से मरीज को कितने दिनों तक जिन्दा रखोगे भारत को पूंजी की जरूरत है देश में स्वदेशी नीतियों पर आधारित पूंजी निर्माण किया जा सकता है भारत न कल गरीब था और न आज भारत गरीब है भारतीय रूपये को डॉलर के मुकाबले वैश्विक षडयंत्रो के साथ मिलकर मीरजाफर एवम् जयचंदो ने गरीब बनाया है ।
आज गलत आर्थिक नोतियो का ही परिणाम है चीन के युवान के पेट में दर्द होता है और इलाज भारत के रूपये के अवमूल्यन से होता है ।
विश्व में तेल के दाम बढ़ते है तो भारतीय रूपये को नुकशान होता है महंगाई बढ़ती है विश्व में तेल के दाम घटते है तो भारतीय रूपये को नुकशान होता है आखिर ये अर्थशाश्त्र है या अनर्थशाश्त्र जब कालेधन पर कोई कार्यवाही होती शेयर बाजार गिरता है भरष्टाचार पर कार्यवाही होती है तो तो शेयर बाजार गिरता है भारतीय अर्थव्यवस्था विदेशी कम्पनियो के हाथो का खिलौना बन गई है ।
समय रहते भारतीय अर्थव्यवस्था का उपचार नहीं हुवा तो अंत में एक ही विकल्प होता है पोस्टमार्टम अतः किसी भी देश में पहले आर्थिक गुलामी आती है राजनैतिक गुलामी उसके पीछे से ही आती है ।
हम भारतीय सरल हृदय वाले तरल हृदय वाले अतिथि देवो भव वाले हम पर बहुराष्ट्रीय कम्पनिया विज्ञापनों रूपी जाल फेक रही है और हम बहुमूल्य भारतीय सम्पदा को उनको हवाले करते जा रहे है ।आज इन्ही बहुराष्ट्रीय कम्पनियो की मदद से विकाशशील देशो से पूंजी निकल कर विकसित देशो की ओर जा रही है ।
भारत को इस आर्थिक गुलामी की बेडियो को तोडना है तो कर्जआधारित अर्थव्यवस्था को आज नहीं तो कल छोड़ना ही होगा ।
एक तरफ हम गाना गाते है मेरे देश की धरती हीरा मोती उगले और दूसरी तरफ बहुराष्ट्रीय कम्पनिया विदेशी पूंजी निवेश का जाल फेककर उसको निगले ।
पुनः देश को एक स्वदेशीआंदोलन की जरूरत है जो भारत की अर्थव्यवस्था को स्वदेशी की ताकत से शक्तिशाली बना सके ।
भारतीय अर्थव्यवस्था के चारो ओर आर्थिक स्वालम्बन की ऐसी लक्ष्मणरेखा खींचनी होगी जिससे चाहे ड्रेगन रुपी रावण के युवान के पेट में दर्द हो या डॉलर पाउंड को स्वाइन फ़्लू हो जाए पर कोई भी युवान डॉलर पाउंड यूरो की बिमारी भारत की स्वदेशी रेखा न पार कर पाये सदैव हमारा रुपया स्वस्थ्य एवम् समृद्ध रहे ।
आज भारत को विदेशी पूंजी निवेश की चिंता की बजाय स्वदेशी के चिंतन का समय है ।
लाल देश के बहादुरी के द्वार खोल दो
जय जवान जय किसान जय स्वदेशी बोल दो ।
जय हिन्द
अमित कुमार शुक्ला ''प्रचण्ड''
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
+91-8052402445
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जवाब देंहटाएंThe company offers a wide range of mobile games, mobile-friendly games, a safe 예스 벳 banking options, and an attractive live 1xbet betting choegocasino option. Rating: 2.5 · 포커 고수 Review by OnCasinos deccasino