Baba Prachand Nath

Baba Prachand Nath
Amit Shukla GKP

रविवार, 6 सितंबर 2015

मुसलमानों का सबसे ताकतवर हथियार 'अल-तकिया'

मुसलमानों का सबसे ताकतवर हथियार 'अल-तकिया'मैं इसलिए किसी भी मुल्ले की बातों पर यकीन नहीं करता ...
इसने इस्लाम के प्रचार प्रसार में जितना योगदान दिया है उतना इनकी सैंकड़ों हजारों कायरों की सेनायें नहीं कर पायीं ।इस हथियार का नाम है "अल - तकिया"।


अल-तकिया के अनुसार यदि इस्लाम के प्रचार , प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा , द्रऋह करना पड़े - सब धर्म स्वीकृत है ।इस प्रकार अल - तकिया ने मुसलामानों को सदियों से बचाए रखा है ।
मुसलमानों के विश्वासघात के अन्य उदाहरण -
1 -मुहम्मद गौरी ने 17 बार कुरआन की कसम खाई थी कि भारत पर हमला नहीं करेगा, लेकिन हमला किया ।
2 -अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ के राणा रतन सिंह को दोस्ती के बहाने बुलाया फिर क़त्ल कर दिया ।
3 -औरंगजेब ने शिवाजी को दोस्ती के बहाने आगरा बुलाया फिर धोखे से कैद कर लिया ।
4 -औरंगजेब ने कुरआन की कसम खाकर श्री गोविन्द सिघको आनद पुर से सुरक्षित जाने देने का वादा किया था.फिर हमला किया था.
5 -अफजल खान ने दोस्ती के बहाने शिवाजी की ह्त्या का प्रयत्न किया था ।
6-मित्रता की बातें कहकर पाकिस्तान ने कारगिल पर हमला किया था ।लोगों का विश्वास उठ चूका है मुसलमानों से..
और ये ऐसी स्थिति है जिसको मुसलमान खुद समझ नहीं पा रहे हैं.. सिर्फ भारत की बात नहीं दुनिया के हर कोने में मुसलमानों को शक की नज़र से देखा जा रहा है.. मगर मुसलमान खुद हकीकत से मुह फेरे बैठे हैं.. ये स्थिति बहुत खतरनाक है और विचार करने योग्य है..मुसलमानों ने खुद दुनिया दो हिस्सों में बाँट राखी है एक मुस्लिम समाज और दूसरा गैर मुस्लिम समाज..
परेशानी यहीं से शुरू होती है.. भाई भाई बोलने की सारी बातें बेईमानी है अगर दुनिया ही दो हिस्सों में बटी है इस्लामिक नज़रिए से..इस्लाम की शिक्षा अब सब लोग समझ चुके हैं.. काफिर, मुशरिक, मुनकिर.. अब लोगों को समझ आ गया है.
अब बच्चा बच्चा जानता है कि काफिर किसको कहते हैं.. और फिर आप बोलते हो की लोग नफरत क्यूँ कर रहे हैं?? काफिर शब्द गाली की तरह इस्तेमाल करोगे फिर लोगों को समझोगे की काफिर मतलब सिर्फ वो जो अल्लाह को न माने.. और शब्द के पीछे जो घृणा छिपी है उसको कैसे छिपाओगे?
लोग अब पढ़ रहे हैं और उनको पता है की कट्टर लोगों का दिल पूरे दुनिया में शरीया लागू करने में लगा है..
लोग गूगल , ट्विटर , फेसबुक पर उसकी पैरवी करते हैं और बोलते हो लोग नफरत करते हैं आपसे?जिन जिन लोगों ने हिन्दुवों और सिखों पर ज़ुल्म ढाएआप उनकी वकालत करते हो फिर बोलते हो लोग आपसे नफरत करते हैं?
मुसलमानों को पूरी दुनिया के मुसलमानों की फ़िक्र रहती है.. जितना आक्रोश आपको इस्राईल पर आता है उतना आपको अपने देश में हुवे किसी और हादसे पर नहीं आता है..
अगर दिल में कुछ और हो और ज़बान पर कुछ और तो छोटे बच्चे भी आपकी नियत भांप जाते हैं .. बाकी दुनिया तो बड़ी और समझदार है ...
कैसे उम्मीद करते हो की आप औरंगजेब और गौरी की तारीफ करो और लोग ये न समझ पाए की आपके दिल में क्या है??
लोग कैसे मान जाएँ की आप औरंगजेब की तारीफ़ करके उसकी शिक्षाओं को नहीं अपनाओगे भविष्य में?
मैं इस्लाम को इंसानियत का मज़हब उस दिन मानूंगा जिस दिन सऊदी अरब में मंदिर और गुरूद्वारे बनाने की इजाज़त मिलेगी और लोग खुले आम पूजा कर सकेंगे.. इस बात की कोई दलील ही नहीं दी जा सकती है की वो इस्लामिक देश है.. किसका इस्लामिक देश कैसा देश? अगर हम वहां दुसरे धर्मो को जगह नहीं दिलवा सकते हैं तो कम से कम वकालत तो न करें इस बात की.. भारत में बैठ के बोलोगे की सऊदी की पाक ज़मीन पर मंदिर नहीं बन सकता और फिर यहाँ लोग आपको गले लगायें?
संभल जाओ अभी सवेरा है.. पूरी दुनिया नफरत करने लगीहै और लोग अब किसी भी रूप में इस्लाम को देखने के लिए भी नहीं तैयार हैं.. होश में आ जाओ तो अच्छा है नहीं तो मिट जाओगे. ......






गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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