Baba Prachand Nath

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Amit Shukla GKP

रविवार, 6 सितंबर 2015

कुरान हिन्दू धर्म ग्रन्थ के उलट

कुरान हिन्दू धर्म ग्रन्थ के उलट
क्या आप जानते हैं कि..... मुस्लिम इतने मूर्ख और अव्वल दर्जे के बेवकूफ क्यों होते हैं....?????
क्यों... मुस्लिम लकीर के फ़क़ीर होते हैं.... और, तुरंत ही किसी के बहकावे में आ जाते हैं....????


इन सबका कारण उनका मदरसा और उनका धर्मग्रन्थ कुरान है.....!
और.... आप यह जानकार हैरत में पड़ जायेंगे कि.... शायद ही कोई ऐसा मुस्लिम होगा ... जिसने कुरान नहीं पढ़ा होगा..... और, जिसे कुरान में लिखी बातों पर शक होगा...!
लेकिन.... आप यह जान कर और भी हैरान रह जायेंगे कि..... हिन्दू धर्म ग्रन्थ के उलट........
कुरान में.... ना तो किसी तरह का विज्ञान है.... ना ही उसमे कहीं भूगोल अथवा समाजशास्त्र का ही जिक्र है...... ना ही उसमे चिकित्सा सम्बन्धी कोई बात ही लिखी हुई है..!
यहाँ तक कि.... कुरान में.... नदी नाले, पहाड़... जंगल, पर्यावरण अथवा.... चाँद चारे अथवा आकाश का कोई ही नहीं जिक्र है....!
और, अगर आकाश वगैरह के बारे में कहीं कहीं थोडा बहुत लिखा भी है तो...... वो ऐसा लिखा है कि...... एक पांचवीं क्लास का बच्चा भी उसे पढ़ कर... कुरान लिखने वाले की बुद्धि देख कर.... अपना सर पीट लेगा....!
और फिर..... इस्लामी मान्यता के अनुसार तो.... कुरान एक ईश्वरीय ग्रन्थ है..... जिसे उनके अल्लाह ने खुद लिख कर भेजा है....!
तो फिर.... आप भी .... सीधे ईश्वर की वाणी में ही सुने कि.... कुरान में आकाश का वर्णन किस प्रकार का है........
1 आकाश के सात तल
इस्लामी मान्यता के अनुसार आकाश के सात तल हैं .......जो एक दुसरे के ऊपर टिके हुए हैं .....और, अल्लाह सबसे ऊपर वाले आसमान पर अपना सिंहासन जमा कर बैठा रहता है . और , वहीँ से अपने फरिश्तों या नबियों के द्वारा हुकूमत चला रहा है .
इसी लिए, आकाश को अरबी में " समावात " भी कहा जाता है , जो बहुवचन शब्द है .
अंगरेजी में इसका अनुवाद Heavens इसी लिए किया जाता है , क्योंकि इस्लाम में आकाश के सात तल माने गए हैं .जैसा कि इन आयतों में कहा गया है .
"क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने किस प्रकार से सात आसमान ऊपर तले बनाये हैं "............सूरा -नूह 71:15
( ## मेरे हिसाब से तो.... शायद कुरान लिखने वाले ने कहीं सुना होगा कि .... दुनिया में सात समन्दर हैं.... परन्तु, अपनी मूर्खता की वजह से.... वे आकाश और समुद्र में विभेद नहीं कर पाए होंगे.... और, लिखते समय समुद्र की जगह आकाश लिख दिया होगा ).
2. कुरान की इस बात की पुष्टि इस हदीस से भी होती है ,
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने अपनी पुत्री फातिमा से कहा करते थे कि जब भी अल्लाह को पुकारो तो , कहा करो कि ' हे सात असमानों के स्वामी अल्लाह " ...सही मुस्लिम -किताब 35 हदीस 6553
3. तारे पृथ्वी के निकट हैं
हालाँकि....विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि तारे ( stars ) पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष मील दूर हैं ...और, दूरी के कारण छोटे दिखायी देते हैं ......लेकिन, कुरान ऐसा नहीं मानता है......
अगर कुरान की बातों पर भरोसा करें तो..... कुरान कहता है कि..... तारे आकाश के सबसे निचले आकाश में सजे हुए है .....यानी पृथ्वी के बिलकुल पास हैं .
कुरान की यह आयत देखिये ,
"हमने दुनिया के आकाश में सबसे निचले आकाश को तारों से सजा दिया है " .......... सूरा -अस साफ्फात 37:64 .
4. सूरज दलदल में डूब जाता है
हालाँकि..... विज्ञान के अनुसार पृथ्वी पर दिन-रात..... पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण होती है...... और, 24 घंटे सूर्य का प्रकाश ... पृथ्वी के किसी न किसी भाग पर पड़ता ही रहता है....!
लेकिन.... इस्लाम या फिर कहें कि.... कुरान ऐसा हरगिज नहीं मानता है.....!
अगर.... कुरान की मानें तो.... सूरज रात में अल्लाह के आदेश से किसी दलदल (muddy spring ) में डूब जाता है.... जिसे झाड पोंछ कर अल्लाह रोज सुबह फिर से आकाश में टांग देता है...!
जरा आप भी कुरान की ये आयत देखें और अपना सामान्य ज्ञान बढायें....
" यहाँ तक कि वह ( जुल करनैन ) उस जगह पहुंच गया ,और उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल (muddy spring ) डूबा हुआ पाया "........ सूरा -अल कहफ़ 18:86 .
5. शायद अल्लाह का सिंहासन दलदल के ऊपर है...
क्योंकि.... हदीस कहती है कि..... सूर्यास्त होने.... या फिर सूरज के दलदल में डूब जाने के बाद..... सूरज रात भर अल्लाह के सिंहासन के नीचे छुपा रहता है.... तो, इसका अर्थ तो यही बनता है कि.... अल्लाह का सिंहासन भी दलदल के ऊपर ही बना हुआ होगा....!
जरा आप भी..... ये हदीस पढ़ें और... अपने इस्लामी विज्ञान के ज्ञान में वृद्धि करें.....
"अबू जर ने कहा कि एक बार रसूल ने मुझ से पूछा कि .......क्या तुम जानते हो कि ......सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ छुप जाता है.......तो, मैंने कहा कि रसूल मुझ से अधिक जानते है .
तब रसूल ने कहा.......... सुनो जब सूरज अपना सफ़र पूरा कर लेता है .......तो, अल्लाह को सिजदा करके उसके सिंहासन के कदमों के नीचे छुप जाता है .
फिर जब अल्लाह उसे फिर से निकलने का हुक्म देते है .... तो, सूरज अल्लाह को सिजदा करके वापस अपने सफ़र पर निकल पड़ता है ........सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 421
6. सूर्योदय पश्चिम में भी हो सकता है....!
हालाँकि... सब यह जानते हैं कि.... सूर्योदय और सूर्यास्त का कारण ... पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा है... और, उसी के कारण सूर्योदय हमेशा पूर्व में ही होता है....!
लेकिन.... कुरान ऐसा नहीं मानता है....!
कुरान कहता है कि.....
.और यदि अल्लाह सूरज को हुक्म देगा तो सूरज पूरब की जगह पश्चिम से निकल सकता है ........... .सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 421
### अब आप खुद ही सोचें कि.... कितना अलौकिक और कभी ना सुना हुआ ज्ञान बाँट रहा है ये कुरान ..... हमारे समाज में...
और... इस तरह की उलुल-जुलूल बात पढ़ कर.... लोगों के ज्ञान में क्या वृद्धि हो पाएगी....???
फिर भी..... हमारी तथाकथित सेकुलर सरकारें...... ना सिर्फ ऐसी किताबें पढ़ाने वाले मदरसे को बढ़ावा दे रही है ... बल्कि, हमलोगों के गाढे खून पसीने के टैक्स के पैसों को .... इस तरह के मदरसे को अनुदान दे कर..... पानी में बहा रही है.....!
यही कारण है कि..... किसी भी मदरसे में बातों को समझाने की जगह ..... उसे जोर देकर रटवाया जाता है......
और... मदरसे में पढ़े हुए मुस्लिम ......... इतने मूर्ख और अव्वल दर्जे के बेवकूफ होते हैं.... तथा....तुरत ही किसी के बहकावे में आकर .... जिहाद करने निकल पड़ते हैं...!
जय महाकाल...!!!
नोट: यह लेख किसी तरह का धार्मिक विद्वेष फ़ैलाने के लिए नहीं.... बल्कि, समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रमाणिक कुरान की हदीसों को आधार बना कर लिखी गयी है....!
फिर भी.... किसी सज्जन अथवा दुर्जन को लेख से किसी प्रकार की कोई शिकायत हो तो.... पहले वो ..... लेख में उल्लेखित कुरान की हदीसों को गलत साबित करे... उसके बाद ही अपना भोंपू बजाये...!



गोरखपुर उत्तर प्रदेश 

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