Baba Prachand Nath

Baba Prachand Nath
Amit Shukla GKP

रविवार, 6 सितंबर 2015

प्याज पर सबसे बड़ा बयान

अमित शुक्ला एक बात कहा करते हैं ।
ऐसा नहीं है कि देश में अच्छे फ़िल्म निर्माता या लेखक निर्देशक नहीं हैं । 
निर्देशक तो एक से एक पड़े हैं । लेखक भी ।
हिन्दुस्तान का दर्शक एक नंबर का @#$%है । वो बेहद घटिया फ़िल्म को 300 करोड़ी कर देगा और बेहतरीन फ़िल्म 2 करोड़ पे दम तोड़ देती है । 


भारत का दर्शक अभी परिपक्व नहीं हुआ है ।
प्याज के दाम बढे तो देश की खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ( food processing ) 
हरसिमरत कौर जी बादल ने बयान दिया कि प्याज महँगा है तो सूखा प्याज या उसका पेस्ट प्रयोग में लाएं । 
भाई लोग बिना सोचे समझे राशन पानी ले के चढ़ बैठे । 
प्याज महँगी तो paste सस्ता कैसे हो सकता है ? कैसी बेवक़ूफ़ minister है मोदी जी की ........
पुराने जमाने में हमारी माताएं और दादी अम्मा मौसमी सब्जियां सुखा के रख लेती थीं । मैंने अपने घर में गोभी की माला सूखती देखी है बचपन में ।
सूखे करेले । सूखे टमाटर । बारीक कटे सूखे प्याज .......
may june की गर्मी में जब कि पश्चिम की शुष्क हवा बहती है जिसे लूह कहते हैं , और सब्जियों का भाव भी सस्ता होता है ....... सब्जियां सुखा ली जाती हैं । 
पुराने जमाने में लोग अपने घर की छतों पे य्य्ये बड़े बड़े 15 - 20 कद्दू रख देते थे ........पीले रंग के ....... वो यूँ ही पड़े रहते थे साल भर ........ और जब कोई काज प्रयोजन शादी बियाह पड़ता तो बस उसी की सब्जी बनती थी । उस ज़माने में न बारह मासी सब्ज़ियाँ होती थीं और न इस प्रकार सब्जियों फलों का अंतर राज्यीय transportation । लोगों ने समय के हिसाब से ही eating habits develop की थी । season न हो तो वो सब्जी खाने का मतलब ही न था । 
अब चूँकि समय बदल गया है । हर सब्ज़ी बारहों मास उपलब्ध है । और लोग अब खाना सीख गए हैं । 
Indian Army अपने लिए डिब्बा बंद सूखा प्याज बनवाती है । 
बचपन में जब हम sikkim में रहते थे तो army ration supply में खूब आता था हमारे घर । उसे बस पानी में धो के गर्म पानी में 5 मिनट भीगा के छौंक लिया जाता है । ये सूखा प्याज तब बनाया जाता है जब नासिक में नयी फसल आती है और भाव 4 - 6 रु किलो होता है । उसी प्रकार जैसे लहसुन अदरक का paste वैसे ही प्याज का पेस्ट बनाती है industry ।
पर इसे मैं देश का सौभाग्य ही कहूँगा कि हमारे समाज में आज भी fresh सब्जी खाने का रिवाज़ है जबकि west तो कबका डिब्बा बंद भोजन पे आ गया है । उनकी मज़बूरी है । उनके यहां तो फ्रेश हरी ताज़ा सब्जी एक luxury है । भारत में ताज़ी सब्ज़ी एक आम बात है ।
पर पिछले 10 साल से तेज़ी से बदली हैं हम भारतीयों की eating habits । इसके कारण खाद्य पदार्थों की seasonal shortage होने लगी है । इसके बावजूद भारत अभी भी डिब्बा बंद भोजन और सब्जी की ओर नहीं मुड़ रहा ।
हरसिमरत कौर यही कह रही हैं । 
ऐ हिन्दुस्तानियों ...... यदि हर साल की इस प्याज की महंगाई से छुटकारा चाहते हो तो dried onions और onion paste खाना सीखो । आज यदि हम लोग ये डिब्बाबंद puree और paste खाना सीख जाएँ तो इंडस्ट्री 125 करोड़ लोगों को बहुत सस्ते दाम में ये टमाटर प्याज लहसुन अदरक और डिब्बा बंद सब्ज़ियाँ सूखी सब्जियां खिला सकती है । पर ऐसा तभी होगा जब उनकी बिक्री साल भर हो । 
हमारे देश में ऐसा नहीं है । हम साल भर fresh ही खाना चाहते है और ये बहुत अच्छी बात भी है ।
पर इसके लिए हमें फिर इस cyclical shortage और cyclical महंगाई के लिए भी तैयार रहना चाहिए ।
आज भारत की food processing industry हमें साल भर सस्ता डिब्बा बंद भोजन उपलब्ध करा सकती है । 
हम लोग खाने वाले तो बनें ।




गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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