दिशाशूल क्या होता है ?
बड़े बुज़ुर्ग तिथि देख कर आने जाने की रोक टोक क्यों करते थे ?
दिशाशूल समझने से पहले हमें दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना आवश्यक है।
सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव 10 दिशाओं का वर्णन किया गया है, जैसे हनुमान जी ने युद्ध इतनी आवाज की कि उनकी आवाज दसों दिशाओं में सुनाई दी |
10 दिशाएँ हैं :
1) पूर्व 2) पश्चिम 3) उत्तर 4) दक्षिण 5) उत्तर – पूर्व 6) उत्तर – पश्चिम 7) दक्षिण – पूर्व 8) दक्षिण – पश्चिम 9) आकाश 10) पाताल
प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं |
दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ यात्रा नहीं करना चाहिए | हर दिन किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल होता है |
1) सोमवार और शुक्रवार को पूर्व
2) रविवार और शुक्रवार को पश्चिम
3) मंगलवार और बुधवार को उत्तर
4) गुरूवार को दक्षिण
5) सोमवार और गुरूवार को दक्षिण-पूर्व
6) रविवार और शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम
7) मंगलवार को उत्तर-पश्चिम
8) बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व
यदि एक ही दिन यात्रा करके उसी दिन वापिस आ जाना हो तो ऐसी दशा में दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है | परन्तु यदि कोई आवश्यक कार्य हो ओर उसी दिशा की तरफ यात्रा करनी पड़े, जिस दिन वहाँ दिशाशूल हो तो यह उपाय करके यात्रा कर लेनी चाहिए –
रविवार – दलिया और घी खा कर
सोमवार – दर्पण देख कर
मंगलवार – गुड़ खा कर
बुधवार – तिल, धनिया खा कर
गुरूवार – दही खा कर
शुक्रवार – जौ खा कर
शनिवार – अदरक अथवा उड़द की दाल खा कर
साधारणतया दिशाशूल का इतना विचार नहीं किया जाता परन्तु यदि व्यक्ति के जीवन का अति महत्वपूर्ण कार्य है तो दिशाशूल का ज्ञान होने से व्यक्ति मार्ग में आने वाली बाधाओं से बच सकता है | आशा करते हैं कि आपके जीवन में भी यह गायन उपयोगी सिद्ध होगा तथा आप इसका लाभ उठाकर अपने दैनिक जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे |
बड़े बुज़ुर्ग तिथि देख कर आने जाने की रोक टोक क्यों करते थे ?
दिशाशूल समझने से पहले हमें दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना आवश्यक है।
सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव 10 दिशाओं का वर्णन किया गया है, जैसे हनुमान जी ने युद्ध इतनी आवाज की कि उनकी आवाज दसों दिशाओं में सुनाई दी |
10 दिशाएँ हैं :
1) पूर्व 2) पश्चिम 3) उत्तर 4) दक्षिण 5) उत्तर – पूर्व 6) उत्तर – पश्चिम 7) दक्षिण – पूर्व 8) दक्षिण – पश्चिम 9) आकाश 10) पाताल
प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं |
दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ यात्रा नहीं करना चाहिए | हर दिन किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल होता है |
1) सोमवार और शुक्रवार को पूर्व
2) रविवार और शुक्रवार को पश्चिम
3) मंगलवार और बुधवार को उत्तर
4) गुरूवार को दक्षिण
5) सोमवार और गुरूवार को दक्षिण-पूर्व
6) रविवार और शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम
7) मंगलवार को उत्तर-पश्चिम
8) बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व
यदि एक ही दिन यात्रा करके उसी दिन वापिस आ जाना हो तो ऐसी दशा में दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है | परन्तु यदि कोई आवश्यक कार्य हो ओर उसी दिशा की तरफ यात्रा करनी पड़े, जिस दिन वहाँ दिशाशूल हो तो यह उपाय करके यात्रा कर लेनी चाहिए –
रविवार – दलिया और घी खा कर
सोमवार – दर्पण देख कर
मंगलवार – गुड़ खा कर
बुधवार – तिल, धनिया खा कर
गुरूवार – दही खा कर
शुक्रवार – जौ खा कर
शनिवार – अदरक अथवा उड़द की दाल खा कर
साधारणतया दिशाशूल का इतना विचार नहीं किया जाता परन्तु यदि व्यक्ति के जीवन का अति महत्वपूर्ण कार्य है तो दिशाशूल का ज्ञान होने से व्यक्ति मार्ग में आने वाली बाधाओं से बच सकता है | आशा करते हैं कि आपके जीवन में भी यह गायन उपयोगी सिद्ध होगा तथा आप इसका लाभ उठाकर अपने दैनिक जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे |
अमित कुमार शुक्ला ''प्रचण्ड''
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
+91-8052402445
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